शिंदे सरकार ने जहां अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए वक्फ बोर्ड को 2 करोड़ रुपये देने का फैसला किया है। वहीं सरकार के इस फैसले का विश्व हिंदू परिषद ने कड़ा विरोध जाहिर किया है। मामले पर मिली जानकारी के अनुसार अल्पसंख्यक विकास विभाग के एक सरकारी प्रस्ताव के मुताबिक वक्फ बोर्ड को इस वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अल्पसंख्यक कल्याण के लिए निर्धारित 10 करोड़ रुपये में से 2 करोड़ रुपये मिलेंगे।
मुंबई : शिंदे सरकार ने जहां अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए वक्फ बोर्ड को 2 करोड़ रुपये देने का फैसला किया है। वहीं सरकार के इस फैसले का विश्व हिंदू परिषद ने कड़ा विरोध जाहिर किया है।
मामले पर मिली जानकारी के अनुसार अल्पसंख्यक विकास विभाग के एक सरकारी प्रस्ताव के मुताबिक वक्फ बोर्ड को इस वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अल्पसंख्यक कल्याण के लिए निर्धारित 10 करोड़ रुपये में से 2 करोड़ रुपये मिलेंगे।
इस बाबत बीते 10 जून को महाराष्ट्र सरकार की तरफ से परिपत्र जारी किया गया था। यह परिपत्र महाराष्ट्र सरकार में उप सचिव मोइन तशलीदार की तरफ से जारी हुआ। इधर फैसले ले खफा विश्व हिंदू परिषद ने कहा कि सरकार ने 10 करोड़ की घोषणा ही नहीं की, बल्कि तत्काल 10 में से 2 करोड़ रुपए आवंटित भी कर दिए।
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वहीं VHP के महाराष्ट्र गोवा के क्षेत्र प्रमुख गोविंद शेंडे ने मामले पर नाराजगी की और कहा कि वक्फ बोर्ड की दोनों जेब ही जब पैसों से भरी हुई है। ऐसे में उन्हें 10 करोड़ रुपये देना गैर संगत है। महाराष्ट्र सरकार इस पर अपनी मंशा साफ करें कि, किस तुष्टिकरण की नीति के तहत यह कार्य हुआ है?
VHP की मानें तो अगर शिंदे सरकार ने इस फैसले को वापस नहीं लिया गया तो महायुति दलों को अब स्थानीय निकायों और महाराष्ट्र के आगामी विधानसभा चुनावों में हिंदुओं के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है।” मामले पर VHP ने आगे यह कहा कि, वह राज्यपाल से मिलकर जल्द ही अपनी भूमिका इस विषय पर साफ करेगी। इतना ही नही VHP ने भारत सरकार के गृह मंत्रालय से भी कहा है कि, अब जब अमरनाथ की यात्रा शुरू होने को है । ऐसे में सरकार सुनिश्चित करें कि भक्तों पर किसी भी तरह का आतंकवादी हमला न हो।
मामले पर इंटरनेशनल सूफी कारवां के प्रमुख और मुंबई के इस्लामिक विद्वान मुफ्ती मंजूर जियाई ने कहा कि, “हमें खुशी है कि शिंदे सरकार ने अल्पसंख्यकों के कल्याण हेतु आवंटित धन का 20% वक्फ बोर्ड को देने की मंजूरी दे दी है। इस धन का इस्तेमाल समुदाय की बेहतरी में होगा। इसे राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाए, क्योंकि लोकसभा चुनाव से पहले ही इस उद्देश्य के लिए सरकार द्वारा धन निर्धारिण हो गया था।”
जानकारी दें कि, मौजूदा आवंटन साल 2007 में गठित वक्फ पर संयुक्त संसदीय समिति का ही नतीजा है। समिति ने तब महाराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड के कामकाज और उसकी संपत्तियों का निरीक्षण किया था । इस दौरे के बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने बोर्ड को अनुदान देने का वादा किया, जिसके बाद अब यह बजट आवंटन किया गया है।
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