चारा घोटाले की तर्ज पर इस राज्य से सामने आया राशन घोटाला ,बिहार के चारा घोटाले की तरह ही है यह मामला…… आपको जानकर बडी हैरानी होगी बाईक,कार, और आटो के नंबर पर बने है ट्रको के बिल
मध्य प्रदेश में पोषण आहार बांटने में बड़ी अनियमितताएं सामने आई हैं। अकाउंटेंट जनरल की ऑडिट रिपोर्ट में इस घोटाले का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 110.83 करोड़ रुपए का पोषण आहार तो सिर्फ कागजों में ही बाटा गया है।
मध्यप्रदेश : ऑडिटर जनरल (एमपी एजी) की रिपोर्ट में सामने आया कि जिम्मेदार अधिकारियों ने बाइक, कार, ऑटो और टैंकर के नंबरों को ट्रक का बताकर 6 राशन बनाने वाली फर्मों से 6.94 करोड़ का 1125.64 मीट्रिक टन राशन परिवहन कर दिया। डाटाबेस मिलाने के कागजों पर लिखे गए नंबर बाइक, कार, ऑटो और टैंकर के निकले हैं।
इतने बड़े घोटाले का खुलासा होने के बाद शिवराज सरकार में हड़कंप मच गया है। मध्य प्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत काम करने वाली आंगनबाड़ियों में कुपोषित बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार वितरित किया जाता है। पोषण आहार पहुंचाने की जिम्मेदारी निजी कंपनियों को दी गई है।
रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि ट्रकों की जगह पर बाइक और स्कूटर के नंबर लिखवाए गए हैं। साथ ही इन योजनाओं का लाभ पाने वाले लभार्थियों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। ऑडिट रिपोर्ट में लाभार्थियों की पहचान, उत्पादन, परिवहन वितरण और टेक-होम राशन के गुणवत्ता के नियंत्रण में बड़े पैमाने पर हेराफेरी हुई है।
जांच रिपोर्ट में भोपाल, छिंदवाड़ा, धार, झाबुआ, रीवा, सागर, सतना और शिवपुरी जिलों में करीब 97 हजार मैट्रिक टन पोषण आहार स्टॉक में होना बताया था। जबकि करीब 87 हजार मैट्रिक टन पोषण आहार बांटना बताया गया है। यानी करीब 10 हजार टन आहार गायब था। इसकी कीमत करीब 62 करोड़ रुपए है।
लाभार्थियों को मिला खराब गुणवत्ता का टेक होम राशन
टेक होम राशन के पोषण मूल्य का आकलन करने के लिए सैंपल की गुणवत्ता जांच में भी लापरवाही बरती गई है। सैंपल को संयंत्र, परियोजना और आंगनवाड़ी स्तर पर लेकर राज्य से बाहर स्वतंत्र प्रयोगशालाओं में भेजना था, लेकिन विभाग ने संयंत्र स्तर पर ही स्वतंत्र प्रयोगशालाओं में सैंपल भेजे।
इसके अलावा 2237 करोड़ की लागत के 38,304 मीट्रिक टन टीएचआर में से निकाले गए नमूने स्वतंत्र प्रयोगशालाओं को भेजे गए, जो आवश्यक पोषण मूल्य के अनुरूप नहीं थे। इससे साफ होता है कि लाभार्थियों को खराब गुणवत्ता का टेक होम राशन मिला है।