BEO कार्यालय में सन्तान पालन अवकाश का खेल…अधिकार के बाहर दिया आदेश…अब शुरू हुआ लीपा पोती का खेल
बिलासपुर : जिला शिक्षा विभाग के अधिकारी जो न करे..सो..थोड़ा….। मामला बिल्हा विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय से है। खण्ड शिक्षा अधिकारी ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर व्याख्याता को करीब एक महीने का सन्तान पालन का अवकाश दिया है। बिल्हा बीईओ के आदेश को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमकर चर्चा है। मामले में जिला शिक्षा विभाग के एक आलाधिकारी ने बताया कि एक व्याख्याता को बीईओ किसी भी सूरत में सन्तान पालन का अवकाश स्वीकृत ही नहीं कर सकता है। बिल्हा बीईओ का आदेश शासकीय गाइड लाइन के खिलाफ है। बीईओ को इस मामले में कोई अधिकार नहीं है। नियम के खिलाफ आदेश होने पर सख्त कार्यवाही होगी।
बिल्हा खण्ड शिक्षा अधिकारी ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर एक महिला व्याख्याता को 26 दिनो का सन्तान पालन अवकाश का आदेश दिया है। आदेश को लेकर कार्यालय में जमकर चर्चा है। दरअसल बिल्हा बीईओ ने पत्र क्रमांक 4024 में एक आदेश जारी कर एक महिला व्याख्याता को 26 दिनों का सन्तानपाल अवकाश को हरी झण्डी दिखाया है। जानकारी के अनुसार शासकीय बालक उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय में पदस्थ महिला व्याख्याता की मांग पर बिल्हा बीईओ ने सन्तान पालन का आदेश दिया है। यह जानते हुए भी कि बीईओ व्याख्याता को सन्तानपालन अवकाश देने का अधिकार नहीं रखता है। बावजूद इसके बिल्हा बीईओ ने ऐसा कर दिखाया।
आपको जानकारी देते चलें कि जिस भी अधिकारी के पास वित्तीय अधिकार होता है उसे ही सन्तान पालन अवकाश देने का भी अधिकार होता है। खासकर व्याख्याता के मामले में बीईओ का अधिकार शून्य है। बीईओ केवल उच्च वर्गीय शिक्षक को ही सन्तान पालन अवकाश दे सकता है। व्य़ाख्यता को 89 दिन का सन्तान पालन देने का अधिकार प्रिसिन्पल और जिला शिक्षा अधिकारी को होता है। इससे अधिक दिन की छुट्टी सिर्फ डीपीआई ही दे सकता है।
लेकिन शासन के सारे नियम और फैसले को ताक पर रखकर बिल्हा बीईओ ने शासकीय बालक उच्च माध्यमिक विद्यालय की शिक्षिका को ना केवल 26 दिनों का अवकाश दिया। बल्कि पत्र में नियम कायदे का भी जिक्र किया है। बताते चलें कि पहले भी बिल्हा बीईओ सन्तानपालन अवकाश दिए जाने को लेकर विवादों में घिर चुके हैं। बहरहाल माममें अब एक्शन की बात सामने आ रही है।