किस विषय मे PHD कर लिए त्रिपाठी जी!
आज ईडी ने अमरबेल सॉरी अमरपति त्रिपाठी को चार दिन के लिए फिर रिमांड पर वापस ले गए। सही जवाब नही दे रहे है या जवाब बन नही रहा है ? पशोपेश में है त्रिपाठी जी। ज्यादा दिन नही बीते है त्रिपाठी जी सुर्खियों में थे। प्राइवेट यूनिवर्सिटी से PHD करने के नाम पर। जनम जनम के साथी को भी करा दिया PHD। वैसे PHD के अपने कड़े कायदे कानून है। लोग भूले नही होंगे भाजपा राज्य में एक महिला प्रोफेसर के PHD के पीछे सरकार नहा धो कर पड़ गयी थी। इस महिला के पति कोर्ट प्रेमी व्यक्ति है। सरकार के पीछे पड़े थे सो सरकार पीछे पड़ गयी थी। सरकार बदल गई तो जान बच गयी।
PHD फिर सुर्खियों में है। दारू संचार सॉरी भारतीय दूर संचार के अधिकारी है सो अपने ही विभाग में ग्राहक प्रतिधारण विषय पर PHD कर लिए।
आश्चर्य का विषय तो ये है कि रोज डिस्टलरी में अवैध शराब बनवाने, अवैध बोतल मे भरने, नकली होलोग्राम बनवाने लगवाने, ट्रांसपोर्ट कराने, गोदाम में रखवाने, 800 दुकान में भिजवाने, 40 परसेंट एक्स्ट्रा फिर कलेक्शन, छत्तीसगढ़ में 2000 करोड़ के साथ साथ झारखंड में 400 करोड़ के घोटाले बावजूद PHD के लिए समय निकाल लिए, खुद के लिए भी पत्नी के लिए भी गजब। अमरपति त्रिपाठी जी, आपकी PHD के लिए आपको साधुवाद।दरअसल ईडी के अधिकारी अब तक समझ नही पा रहे है कि आपको रमन विश्विद्यालय वालो को किस विषय में PHD करवाना था। ग्राहकों के प्रतिधारण में दूर की जगह “दारू” संचार विषय बेहतर होता। आपके पास अनवर ढेबर, नितेश पुरोहित, पप्पू ढिल्लन सहित बहुत सारे डिस्टलर, होलोग्राम निर्माता( आपकी ही पत्नी की फर्म) बोतल निर्माता, आउटसोर्सिंग , परिवहन, बिक्री वाले, पैसा वसूलने वालो सहित विदेशी शराब की ब्रांडिंग वालेमार्गदर्शक थे ही। ईडी को आखरी बार रिमांड मिली है चार दिन बाद बॉलीबॉल खेलने वाली टीम में शामिल हो जाना।
काहे को पूरे प्रदेश के आबकारी अधिकारी को सर्किट हाउस एवं मुख्यमंत्री के बंगले पर मीटिंग के बहाने बुलाकर नेतागिरी किये। और उन सभी अधिकारियों से दबाव पूर्व कोरे पेपर में हस्ताक्षर कराकर काहे सुप्रीम कोर्ट में मामला लगवाए फिर भाग लिए मुम्बई । जहां पकड़ा गए। रिमांड पे रिमांड झेल रहे है।2000 करोड़ में 15 फीसदी कमीशन खुद के लिए उस हिसाब से 300 करोड़ रुपये आपके हिस्से में आये है। आबकारी विभाग के दादी परेशान है कि उनको तो खुरचन भी नही मिली है। कैसे अनदेखा कर गए त्रिपाठी जी, बेचारे दादी डरे हुए हैं कहीं अब उनका नंबर न लग जाए…….