मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ग्वालियर खंडपीठ की मध्यप्रदेश की मोहन सरकार को जमकर फटकार,आर्थिक आपातकाल घोषित करने की दी चेतावनी !
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच के जस्टिस रोहित आर्या और जस्टिस आर के वानी की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार को आर्थिक आपातकाल घोषित करने की चेतावनी दी है. ग्वालियर में स्वर्ण रेखा नदी के दोनों तरफ जाली लगाने के लिए सिर्फ 2 करोड़ का फंड आवंटित करने में हो रही देरी पर हाई कोर्ट ने सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए चेतावनी दी है.
दरअसल, साल 2019 में ग्वालियर की स्वर्ण रेखा नदी को पुनर्जीवित करने की मांग करते हुए एडवोकेट विश्वजीत रतोनियां ने जनहित याचिका दायर की थी. इसी जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस रोहित आर्या और जस्टिस आरके वानी की डिवीजन बेंच ने अपनी नाराजगी बताते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी से कहा, “यहां-वहां करोड़ों रुपये बहाए जा रहे हैं और 2 करोड़ रुपये नहीं हैं, आपके पास कि जाली लग जाए और आम जनता के काम आए. बांटने के लिए हजारों करोड़ रुपये हैं.”
कोर्ट की तरफ से आगे कहा गया कि इससे बड़ी विडंबना क्या कुछ और हो सकती है? इससे ज्यादा खर्चा तो एक आमसभा में हो जाता है. जब शासन के पास लोगों को मूलभूत सुविधाएं देने का पैसा नहीं हैं तो कोर्ट क्यों इतने ऑर्डर पास करें? बोल दो कि हमारे पास कुछ नहीं है, जो कुछ है, वो हमने बच्चों को बांट दिया, अब तो बस जैसे-तैसे सरकार चला रहे हैं.
जल्द जाली लगाने का काम करने का दिया आश्वासनग्वालियर बेंच की ओर से आगे कहा कि आप कह दीजिए कि पैसे नहीं हैं तो हम सबको सुनने के बाद यह आदेश दे देंगे कि प्रदेश में फाइनेंशियल इमरजेंसी की स्थिति है, लेकिन सबको सुनने के बाद ही हम ये कर पाएंगे. हाई कोर्ट की फटकार के बाद निगमायुक्त हर्ष सिंह ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि जाली लगाने का काम निगम ने अपने हाथों में ले लिया है. जल्द ही इसे पूरा कर दिया जाएगा. मामले की अगली सुनवाई अब 12 अप्रैल को होगी.
27 अप्रैल को रिटायर होने वाले हैं जस्टिस रोहित आर्याबता दें कि जस्टिस रोहित आर्या 27 अप्रैल को रिटायर होने जा रहे हैं. सुनवाई के दौरान जस्टिस आर्या ने कहा कि निजी एजेंसी ने क्या-क्या काम करने का दावा किया और अब तक क्या-क्या काम किया? ये सारी जानकारी ऑर्डर में लिखकर जाऊंगा ताकि मेरे बाद जब सुनवाई हो, तो जज को यह पता चले कि यह मामला कितना गंभीर, कितना महत्वपूर्ण है और इसमें किसी भी प्रकार की लीपापोती नहीं की जा सके.