रायपुर – छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सोमवार को शिवनाथ नदी में मछलियों की मौत के मामले पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में हुई इस सुनवाई के दौरान भाटिया शराब फैक्ट्री के संचालकों से पर्यावरण प्रदूषण रोकने के उपायों की जानकारी मांगी गई है। कोर्ट ने कंपनी को इसके लिए दो सप्ताह का समय दिया है।
वाइन कंपनी के वकील की दलील
सुनवाई के दौरान शराब कंपनी के वकील ने दलील दी कि फैक्ट्री के केमिकल की वजह से मछलियों की मौत नहीं हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि मछली पालक किसानों ने ही मरी हुई मछलियों को नदी में फेंका है। उनके इस तर्क पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि पहले पर्यावरण प्रदूषण मंडल के नोटिस का जवाब दें, फिर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
पर्यावरण प्रदूषण मंडल का जवाब
पर्यावरण प्रदूषण मंडल ने हाईकोर्ट के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश की। उन्होंने बताया कि फैक्ट्री संचालक को अप्रैल में नोटिस जारी किया गया था, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। मंडल की रिपोर्ट के अनुसार, जहरीले केमिकल के कारण लाखों मछलियों और कुछ मवेशियों की मौत हुई है।
स्थानीय युवक के वीडियो से मचा हड़कंप
कोनी गांव के युवक ज्ञान चंद वर्मा द्वारा मरी हुई मछलियों को ले जाते हुए लोगों का वीडियो बनाने के बाद मामला तूल पकड़ गया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद हाईकोर्ट ने भी संज्ञान लिया और मुख्य सचिव से जवाब मांगा है। स्थानीय लोगों को जागरूक करने के लिए यह वीडियो बनाया गया था।
मीडिया की ग्राउंड रिपोर्ट
मीडिया की ग्राउंड रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि रायपुर रोड पर मोहभट्टा धूमा स्थित भाटिया वाइंस के प्लांट से घटिया क्वालिटी की स्पिरिट को शिवनाथ नदी में बहाया जा रहा है। इसी वजह से तीन दिन पहले लाखों मछलियां मर गईं और दूषित पानी पीने से कुछ मवेशी भी मरे हुए पाए गए। मामले को दबाने के लिए भाटिया वाइंस प्रबंधन ने मजदूरों से नदी की सफाई भी करवाई।
जांच और कार्रवाई
आबकारी और पर्यावरण विभाग की टीम भी गांव पहुंची और जहरीले पानी का सैंपल लिया। विश्व हिंदू परिषद की शिकायत पर सरगांव पुलिस ने एनीकट में मिले गाय के शव का पोस्टमॉर्टम कराया। पुलिस जांच के बाद भाटिया वाइन्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की बात कर रही है।
कोर्ट का आदेश
हाईकोर्ट ने फैक्ट्री संचालकों को पर्यावरण प्रदूषण रोकने के उपायों की जानकारी प्रस्तुत करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर पर्यावरण प्रदूषण मंडल के नोटिस का जवाब नहीं दिया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।