कोलकाता: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के दो प्रमुख नेताओं के आवासों सहित कुल 10 स्थानों पर एक साथ छापेमारी अभियान चलाया। इस कार्रवाई का उद्देश्य करोड़ों रुपये के राशन वितरण घोटाले की जांच को आगे बढ़ाना है।
ईडी अधिकारियों ने केंद्रीय बलों के सहयोग से राजरहाट, बारासात, बशीरहाट, भांगर और देगंगा में छापेमारी की। इस दौरान चावल और आटा मिलों के साथ-साथ उन व्यवसायियों के कार्यालयों पर भी छापेमारी की गई, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से घोटाले में शामिल माने जा रहे हैं।
एक अधिकारी ने बताया, ‘‘चावल और आटा मिलों के साथ-साथ ऐसे व्यवसायियों के कार्यालयों पर भी छापेमारी की गई जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से घोटाले में शामिल हैं। इनमें देगंगा के दो तृणमूल कांग्रेस नेता भी शामिल हैं, जिनकी मिलों की तलाशी ली जा रही है।’’
इस राशन घोटाले में करोड़ों रुपये के फंड की हेराफेरी का आरोप है, जिसमें गरीबों को मिलने वाले राशन को गलत तरीके से बेचा गया और उसका लाभ उठाया गया। इस मामले में अब तक कई बड़े नाम सामने आ चुके हैं और कई गिरफ्तारियां भी हो चुकी हैं।
ईडी ने इस घोटाले के खिलाफ कई सबूत जुटाए हैं और उसी के आधार पर यह छापेमारी की गई है। इस दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए गए हैं, जो घोटाले से जुड़े हो सकते हैं।
इस कार्रवाई के बाद तृणमूल कांग्रेस में हलचल मच गई है। पार्टी ने इस छापेमारी को राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है। एक वरिष्ठ टीएमसी नेता ने कहा, ‘‘यह केंद्र सरकार की साजिश है। ईडी का दुरुपयोग करके हमारी पार्टी को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।’’
हालांकि, ईडी अधिकारियों ने कहा है कि यह कार्रवाई केवल साक्ष्यों के आधार पर की गई है और इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है।