छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग में विज्ञापन घोटाला: एक ही वेबसाइट को 44 लाख से ज्यादा का भुगतान

रायपुर |छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग में लगातार हो रहे घोटाले की परतें खुलती जा रही हैं। सरकारी विज्ञापन नीति की आड़ में चुनिंदा मीडिया संस्थानों को करोड़ों रुपये का फायदा पहुंचाने का मामला सामने आया है। सूचना के अधिकार (RTI) से मिली जानकारी के अनुसार, महज 7 महीनों में एक ही मीडिया हाउस – जनता से रिश्ता मिड डे अखबार और उसकी वेबसाइट को 44 लाख रुपये से ज्यादा के विज्ञापन जारी किए गए।
कैसे हुआ घोटाला?
जनसंपर्क विभाग द्वारा दैनिक समाचार पत्रों, न्यूज चैनलों, पत्रिकाओं और वेब न्यूज़ पोर्टल्स को विज्ञापन संवाद एजेंसी के माध्यम से आवंटित किए जाते हैं। सरकारी नियमों के अनुसार, वेबसाइटों को अधिकतम 10 हजार से 50 हजार रुपये तक का विज्ञापन मिल सकता है, लेकिन कुछ मीडिया संस्थानों को नियमों को ताक पर रखकर लाखों रुपये के विज्ञापन दिए गए।
जनता से रिश्ता मिड डे अखबार और वेबसाइट को मिले विज्ञापन:
10 जुलाई 2024 – ₹5 लाख (आरओ नंबर: 12813/1)
24 जुलाई 2024 – ₹2.35 लाख (आरओ नंबर: 12844/1)
3 अगस्त 2024 – ₹88,235 (आरओ नंबर: 12865/2)
12 अगस्त 2024 – ₹5 लाख (आरओ नंबर: 12813/2)
1 सितंबर 2024 – ₹88,235 (आरओ नंबर: 12908/34)
10 सितंबर 2024 – ₹5 लाख (आरओ नंबर: 12813/3)
7 अक्टूबर 2024 – ₹5 लाख (आरओ नंबर: 12813/4)
3 नवंबर 2024 – ₹88,235 (आरओ नंबर: 13029/20)
4 नवंबर 2024 – ₹5 लाख (आरओ नंबर: 12813/5)
6 जनवरी 2025 – ₹5 लाख (आरओ नंबर: 12813/7)
सिर्फ चुनिंदा मीडिया संस्थानों को फायदा
RTI से मिली जानकारी के अनुसार, 2022-23 में कुल 243 वेब न्यूज़ पोर्टल एम्पैनल किए गए थे, लेकिन 200 से ज्यादा पोर्टल्स को 10-50 हजार रुपये तक के विज्ञापन दिए गए, जबकि कुछ बड़े मीडिया संस्थानों को हर महीने लाखों रुपये दिए गए।
सरकारी खजाने को लूटा गया?
सूत्रों के मुताबिक, कुछ बड़े मीडिया हाउस और अखबारों को इस तरह के फंड जारी करने का सिलसिला लंबे समय से चल रहा है। वहीं, कई छोटे मीडिया संस्थानों को यह कहकर विज्ञापन नहीं दिए गए कि उनके पास प्रिंट अखबार भी है। लेकिन जनता से रिश्ता को अखबार और वेबसाइट दोनों के नाम पर भारी रकम जारी की गई।
क्या होगी कार्रवाई?
इस घोटाले को लेकर जनसंपर्क विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। विपक्ष ने इसे लेकर सरकार से जवाब मांगा है। आने वाले दिनों में इस मामले की जांच की मांग तेज हो सकती है।
अगली कड़ी में हम उन और भी वेबसाइटों की पोल खोलेंगे, जिन्हें जनसंपर्क विभाग ने कुछ ही महीनों में करोड़पति बना दिया।