भारतमाला परियोजना घोटाले की ईओडब्ल्यू जांच पर बवाल, नेता प्रतिपक्ष ने सरकार को घेरा!
कैबिनेट के फैसले पर उठे सवाल, स्पीकर बोले- पहले सदन को देनी थी सूचना

सरकार के फैसले पर उठे सवाल, स्पीकर बोले- पहले सदन को देनी थी सूचना
रायपुर | छत्तीसगढ़ विधानसभा में सोमवार को भारतमाला परियोजना में गड़बड़ी की जांच को लेकर बड़ा हंगामा हुआ। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने सरकार को घेरते हुए सवाल उठाया कि जब सदन में इस मुद्दे पर पहले से चर्चा चल रही थी, तो कैबिनेट ने गुपचुप तरीके से ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) से जांच कराने का फैसला क्यों लिया? इस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने भी सरकार को नसीहत दे दी कि कोई बड़ा निर्णय लेने से पहले सदन को सूचना दी जानी चाहिए थी।
महंत बोले – सरकार ने सदन को किया नजरअंदाज
शून्यकाल के दौरान डॉ. महंत ने भारतमाला परियोजना में कथित अनियमितताओं की जांच का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, "मैंने इस परियोजना में गड़बड़ी को लेकर पहले भी सवाल उठाया था और जांच की मांग की थी। तब सरकार ने संभागीय आयुक्त से जांच कराने की बात कही थी। लेकिन शाम को अचानक कैबिनेट ने ईओडब्ल्यू जांच का निर्णय ले लिया। अगर जांच की घोषणा यहीं सदन में होती, तो ज्यादा पारदर्शिता रहती।"
स्पीकर ने भी सरकार को दी नसीहत
डॉ. महंत के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि अगर किसी मामले पर सदन में चर्चा चल रही हो, तो कोई भी बड़ा निर्णय लेने से पहले सदन को सूचना देना जरूरी होता है। उन्होंने इस मामले पर राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा को सदन में वक्तव्य देने के निर्देश भी दिए।
परियोजना में घोटाले के आरोप क्यों?
भारतमाला परियोजना के तहत छत्तीसगढ़ में कई राष्ट्रीय राजमार्ग बनाए जा रहे हैं, लेकिन भूमि अधिग्रहण, टेंडर प्रक्रिया और ठेकेदारों की भूमिका को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि परियोजना के तहत किसानों की ज़मीन को बाजार मूल्य से काफी कम दामों पर अधिग्रहित किया गया और ठेकेदारों को मनमाने ढंग से फायदा पहुंचाया गया।
सरकार की सफाई – सब कुछ नियमों के तहत
राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि जांच निष्पक्ष तरीके से होगी और जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। उन्होंने दावा किया कि सरकार ने कैबिनेट में इस फैसले को इसलिए लिया, ताकि जांच में प्रशासनिक दखलअंदाजी न हो और भ्रष्टाचार पर कड़ा एक्शन लिया जा सके।
सरकार दबाना चाहती है सच्चाई : विपक्ष
हालांकि, विपक्ष को सरकार की सफाई रास नहीं आई। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार इस मुद्दे को दबाने की कोशिश कर रही है और कैबिनेट में फैसला लेकर मामले को सीधे ईओडब्ल्यू के हवाले कर दिया गया, ताकि गड़बड़ियों की असली परतें न खुल सकें।
क्या होगा आगे?
अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि ईओडब्ल्यू की जांच में क्या सामने आता है। क्या सरकार इस घोटाले के दोषियों पर सख्त कार्रवाई करेगी या फिर यह मामला भी जांच के नाम पर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा? फिलहाल, सदन में इस मुद्दे को लेकर गरमा-गरम बहस जारी है और विपक्ष सरकार को घेरने का
कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता।